Day - 1
आत्मा का वास्तविक परिचय
हम कहते है कि यह मेरा शरीर, मेरा हाथ, मेरा सिर, मेरा घर तो ये मेरा कहने वाले हम कौन?
जब कोई हमसे हमारा परिचय पूछता है तो हम इस शरीर की पहचान बताते है जैसे नाम, व्यवसाय, रहेठान आदि। परंतु परमात्मा हमारी वास्तविक पहचान बताते हुए कहते है कि तुम एक अजर, अमर, अविनाशी आत्मा हो।
तो मैं एक चैतन्य शक्ति आत्मा हूँ और मेरा स्वरुप ज्योतिर्बिंदु (Point of Light) है यही मेरी वास्तविक पहचान है। मैं आत्मा इस शरीर में भृकुटी मध्य में स्थिर होकर इस पुरे शरीर का नियंत्रण करती हूँ। मन, बुद्धि और संस्कार ये तीन मेरी सूक्ष्म कर्मेन्द्रियाँ हैं और मैं आत्मा इस शरीर और कर्मेन्द्रियों की मालिक हूँ। मुझ आत्मा का असली घर परमधाम है जहाँ से मैं इस सृष्टि रुपी रंग-मंच पर मेरा अविनाशी पार्ट बजाने आई हूँ। मैं आत्मा ही इस शरीर के माध्यम से कर्म करती हूँ, मैं आत्मा ही इन आंखो द्वारा देखती हूँ, कानो द्वारा सुनती हूँ और मुख द्वारा बोलती हूँ। मैं आत्मा ही इस शरीर में रहते हुए सुख और दु:ख की अनुभूति करती हूँ।
तो आज हमने यहाँ पर जाना आत्मा का यानी स्वयं अपना वास्तविक परिचय।
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1. Introduction of Rajyoga Meditation राजयोग का परिचय |
2. Who Am I - Part 1 मैं कौन हूँ - पार्ट-१ |
3. Who Am I - Part 2 मैं कौन हूँ - पार्ट-२ |
4. Location of soul in our body and role of soul हमारे शरीर में आत्मा का स्थान और आत्मा की भूमिका |
5. Three World तीन लोक |
Rajyoga Meditation - Self-Realization
1. Soul Realisation आत्मानुभूति |
2. Soul Realisation - I am a Soul आत्मानुभूति - मैं आत्मा हूँ। |
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