Day - 5
सृष्टि चक्र का गुह्य रहस्य और 84 जन्मों की कहानी
यह सृष्टि चक्र बहुत ही गुह्य रहस्य है जिसका शास्त्रो में भी बहुत कुछ वर्णन किया गया है और आज साइंस भी बहुत संशोधन कर रही है परंतु इस सृष्टि चक्र का सचोट राज़ स्वयं परमापिता परमात्मा के सिवाय ओर कोई नहीं बता सकता।
परमात्मा ने इस सृष्टि चक्र के कई गुह्य राज़ बताए है जिस पर शायद आज मनुष्य विश्वास न कर सके परंतु यही सनातन सत्य है क्योंकि यह स्वयं परमात्मा के महावाक्य है जो इस सृष्टि के आदि-मध्य-अंत को जानने वाले है।
जैसे रात के बाद दिन का होना सत्य है उसी प्रकार कलियुग के बाद सतयुग का आना भी सत्य है। यह सृष्टि चक्र एक कल्प यानि हर 5000 वर्ष के बाद पुनः रिपीट होता है यह भी उतना ही सत्य है।
एक कल्प के चार भाग है सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। जैसे दिन और रात दोनों की अवधि एक समान (12 घंटे) है उसी प्रकार चारों युगो की अवधि भी एक समान (1250 साल) है क्योंकि यह चक्र है।
कोई भी चीज चक्र में होती है तो उसका समय निश्चित होता है तभी वह पुन: रिपिट हो सकती है। जैसे पृथ्वी उसकी धुरी पर एक चक्र पूरा करती है तब एक दिन होता है और जब वह सूर्य के चारों ओर एक परिक्रमण पूर्ण करती है तब एक साल पूर्ण होता है, यह समय भी निश्चित है इसी तरह हर 1250 साल के बाद नया युग आता है और हर 5000 साल के बाद नया कल्प यानि कलियुग पुरा होता है और सतयुग की शुरुआत होती है।
इसी प्रकार यह भी सत्य है कि इन 5000 साल (1 कल्प) में कोई मनुष्यात्मा ज्यादा से ज्यादा 84 जन्म लेती है और कोई कम से कम 1 या 2 जन्म परंतु हरेक मनुष्यात्मा का इस सृष्टि पर पार्ट बजाना निश्चित एवं अनादि और अविनाशी है।
आज मनुष्य अपने विकारो के वशीभूत इतना उलझ गया है कि इस बात को जानते हुए भी स्वीकार करना उसे मुश्किल लगता है परंतु सत्य को कभी ठुकराया नहीं जा सकता।
तो आज हमने यहाँ पर जाना कि यह सृष्टि चक्र कैसे फिरता है और मनुष्यात्मा कितने जन्म लेती है।
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