Day - 7
मानव जीवन का लक्ष्य
छठ्ठे दिन के कोर्ष में हमने जाना कि कैसे परमात्मा सतयुग की स्थापना करा रहे है और अब हम जानेंगे की वर्तमान समय में मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए।
आज मनुष्य अपने गृहस्थी जीवन में इतना उलझ गया है कि उसे यह भी पता नहीं है कि मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए और वर्तमान समय कौन सा समय चल रहा है।
वर्तमान समय कलयुग और सतयुग को जोड़ने वाला "संगमयुग" ही एक ऐसा युग है जिसमें मनुष्य नर से श्रीनारायण और नारी से श्रीलक्ष्मी बनने का पुरुषार्थ कर यानी अपने में दैवी गुणों की धारणा कर स्वर्ग में राज्य-भाग्य प्राप्त कर सकता है। तो जैसे हमने अब जाना है कि अभी वर्तमान समय संगमयुग में परमात्मा नई सतयुगी दुनिया की स्थापना का कार्य करा रहे है जहाँ सम्पूर्ण सुख और शांति का राज्य होता है। तो मनुष्य जीवन का लक्ष्य स्वर्ग या सतयुग में श्रीनारायण या श्रीलक्ष्मी पद की प्राप्ति ही होना चाहिए।
इसके लिए मनुष्यात्मा को हररोज परमात्मा के महावाक्यों को सुनकर उनके द्वारा दी गई श्रीमत का पालन करना चाहिए। ज्ञान व योग की शिक्षा पाकर सतयुग में उंच ते उंच पद प्राप्त करने का पुरुषार्थ करना चाहिये। जैसे कमल किचड़ में रहते हुए किचड़ से न्यारा और प्यारा रहता है उसी तरह मनुष्य को इसी कलियुग रूपी कीचड़ में रहते हुए न्यारा और प्यारा रहना चाहिए।
तो आज हमने यहाँ पर जाना कि मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए और उसे कैसे सार्थक करना है।
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