मेडिटेशन क्या है? (What is Meditation)
मेडिटेशन (Meditation) यानि ध्यान।
मेडिटेशन एक विधि है जिसके द्वारा हम अपने मन-बुद्धि को शांत कर सकते है।
आज मनुष्य ध्यान (Meditation) करता है मन की शांति (Relaxation) के लिए परंतु जब कोई ध्यान में बैठता है तो उसे शांति मिलती नहीं बल्कि मन ओर ही बातो में चला जाता है और मिलती भी है तो कुछ क्षणो के लिए क्योंकि उसे ध्यान का वास्तविक अर्थ ही मालुम न होने से वह सम्पूर्ण रूप से शांति को प्राप्त नहीं कर सकता। इसीलिए हमें जानने की आवश्यकता है की राजयोग मेडिटेशन क्या है। राजयोग मेडिटेशन एक सम्पुर्ण ध्यान (fulfilled meditation) की प्रक्रिया है जिससे हम अपने वास्तविक स्वरुप में स्थित होते है और सम्पुर्ण पुरुषोत्तम परमात्मा का ध्यान करते है, जो हमें सम्पूर्णता की ओर ले जाता है।
राजयोग मेडिटेशन क्या है? (What is Rajyoga Meditation)
"राजयोग मेडिटेशन" स्वयं परमात्मा के द्वारा सिखाया हुआ योग है। जिससे मनुष्य राजा या मालिक बन सकता है इसीलिए इसे राजयोग मेडिटेशन (Rajyoga Meditation) कहाँ जाता है। राजा यानि अपनी कर्मेन्द्रियों को चलाने वाला। अपने मन-बुद्धि का मालिक।
हमें राजयोग मेडिटेशन सीखने की आवश्यकता क्यों है? (Why we need to Learn Rajyoga Meditation)
मनुष्य समझता है कि मेडिटेशन में अपने विचारों को रोकना होता है परंतु एसे कोई विचारों को रोक नहीं सकता। जैसे अगर पानी के प्रवाह को रोकने की कोशीश करेंगे तो वह दूसरी दिशा में बहने लगेगा। अगर हम अपने विचारों को रोकने की कोशीश करेंगे तो हम ओर ही उलझ जायेंगे। ध्यान में हमें जरूरत है अपने विचारों को सही दिशा देने की। जब कहते ही है ध्यान लगाना तो किसी के ऊपर तो हमें ध्यान लगाना होगा परंतु किसके ऊपर? और कैसे ध्यान लगाए वह पता नहीं है इसीलिए जरूरत है "राजयोग मेडिटेशन कोर्ष" सीखने की।
राजयोग - सबसे अच्छी ध्यान तकनीक (Rajayog - Best Meditation Techniques)
राजयोग मेडिटेशन ध्यान की सबसे उत्तम विधि है क्योंकि यह ध्यान हम कोई भी स्थान पर, कोई भी समय पर कर सकते है। यह ध्यान आंखो को खुली रखते हुए, चलते-फिरते, कोई भी कर्म करते हुए कर सकते है। राजयोग मेडिटेशन करने के लिए हमें सिर्फ जरूरत है तो आध्यात्मिक ज्ञान (Spiritual Knowledge) की। इसमें हमें किसी भी प्रकार का मंत्र-जाप का उच्चारण करना नहीं है। हम मेडिटेशन करते ही है शांति के लिए, तनाव मुक्त होने के लिए। वास्तव में परमात्मा की याद ही मेडिटेशन है क्योंकि परमात्मा की याद से ही हम शांति का अनुभव कर सकते है परंतु जरूरत है उसे विधि पूर्वक करने की यानि "आत्मा" और "परमात्मा" के यथार्थ ज्ञान को समझ ने के बाद सच्ची रीति से परमात्मा को याद करने की। इसमें दृश्य (Visualization) का बहुत महत्व है इसीलिए हमें कोर्ष को अच्छी रीति से समझना है। आत्मा और परमात्मा का मिलन ही राजयोग हैं।
राजयोग मेडिटेशन में क्या करें? (What to do in Rajyoga Meditation)
ध्यान यानि कनेक्शन। हमारा परमपिता परमात्मा के साथ कनेक्शन जोड़ना।
क्यों परमात्मा से कनेक्शन?
तो जैसे कि हमें कुछ पाने के लिए उसके स्त्रोत से वह चीज लेनी पड़ती है। अगर हमें पानी की जरूरत हो तो पानी के स्त्रोत (तालाब, नदी, कुए) से हमें पानी मिलता है और उसे घर तक लाने के लिए पाइप से कनेक्शन जोड़ना पड़ता है। अगर हमारे मोबाईल की बैटरी लॉ हो जाए तो हमें उसे चार्जर से उसके स्त्रोत पावर हाउस के साथ कनेक्शन जोड़कर विद्युत ऊर्जा देकर चार्ज करना पड़ता है।
वैसे ही परमात्मा शांति का सागर, सुख का सागर, शक्ति, पवित्रता, प्रेम, आनंद का सागर है यानि शक्तियों का स्त्रोत (पावर हाउस) है और "राजयोग मेडिटेशन" एक माध्यम है परमात्मा से जुड़ने का। तो हमें सुख, शांति, प्रेम आदि को प्राप्त करने के लिए परमात्मा के साथ हमारे मन-बुद्धि को जोड़ना है और एक यही मार्ग है जीवन को सुख-शांति से सम्पन्न और सम्पूर्ण बनाने का।
राजयोग एक विधि है जिसके द्वारा हम अपने वास्तविक स्वरूप या कहे आत्मिक स्वरूप में स्थित होकर यानि अपने को आत्मा समझ अपने प्यारे परमपिता परमात्मा (भगवान) को उनके वास्तविक स्वरूप (ज्योतिर्बिंदु रूप) में याद करते है और उनकी यादों में हमारे मन-बुद्धि को स्थिर करते हैं। परमात्मा के साथ जुड़ने से या उनकी याद से मनुष्यात्माओं के कई जन्मों के पाप विनाश होते है परंतु परमात्मा से जुड़ने की भी एक विधि (रीत) है। उस रीति से अगर हम परमात्मा से ध्यान लगाते है तो हम पवित्र बन मुक्ति और जीवनमुक्ति को प्राप्त कर सकते है।
मनुष्य परमात्मा से सुख-शांति मांगता है की "है भगवान मुझे सुख दो, शांति दो" परंतु राजयोग में हमें परमात्मा से मांगना नहीं है उनसे लेना है यानि राजयोग के माध्यम से हमें परमात्मा की शक्तियों को महसूस करना है, उसे अपने भीतर समाना है यानि जमा करना हैं।
जानें कैसे करें राजयोग मेडिटेशन - ध्यान करने के लिए 4 चरण (Learn How to do Rajyoga Meditation - 4 Steps to Meditate)
1. आत्मिक स्वरूप की स्मृति :
राजयोग मेडिटेशन में पहले तो हमें अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान होना चाहिए कि हम एक अजर, अमर, अविनाशी आत्मा है। इसी ज्ञान को स्मृति में रखते हुए अनुभव करना है "मैं आत्मा इस शरीर में भृकुटी के मध्य में बिराजमान हूँ। जैसे जैसे हम आत्मा के यानि हमारे ज्योतिर्बिंदु रूप में स्थित होते जाते है हमारा मन बिलकुल शांत होने लगता है। जैसे जैसे हमारा योग का अभ्यास बढ़ता जाएगा वैसे हमारा मन इस दुनिया की सारी बातों से दूर होता जाएगा और हम हलकेपन का अनुभव करेंगे। हम अनुभूति करने लगेंगे कि मैं आत्मा इस देह (शरीर) से मुक्त हूँ।
2. स्मरण :
जब हमें पूरा निश्चय हो जाए कि मैं एक चमकता हुआ सितारा (ज्योतिर्बिंदु आत्मा) हूँ और इस शरीर से अलग हूँ तब परमात्मा को भी उनके वास्तविक ज्योतिर्बिंदु (Point of Light) रूप में सहज ही स्मरण करने लगेंगे। परमपिता परमात्मा शिव जो सारी सृष्टि की आत्माओं के पिता है उन्हें परमधाम में निहारते हुए शांति व शक्तियों का अनुभव करना है।
3. ज्ञान का मनन :
जब हम योग मैं बैठते है तब हमारे मन मैं नकारात्मक विचार आने लगते है। तब हमें जरूरत है कि हम ज्ञान के उन महावाक्यों का मनन करें जो परमापिता परमात्मा ने "मुरली" के माध्यम से बताए है। इसी अभ्यास को करते हुए हमें हमारे नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचार या शुभ-संकल्प मैं परिवर्तन करना हैं। हमें हर आत्मा के प्रति शुभ-भावना, शुभ-कामना रखनी हैं।
4. मग्न :
अंत में हमें सभी दुनियावी बातों और संकल्पों को भूलते हुए एक परमात्मा की याद में स्थिर होना है और उनसे रूह-रिहान करते हुए दिव्य-गुण और शक्तियों की अनुभूति करते हुए अपने भीतर समाना है। हमें अनुभूति करनी है की परमपिता परमात्मा लाइट और माइट का गोला है, उनसे निकलती हुई अनंत शक्तियाँ मुझ आत्मा में समाती जा रही है और मैं मेरी सम्पूर्ण पवित्र और सर्व गुण सम्पन्न अवस्था को प्राप्त कर रहा हूँ।
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7 Days Rajyoga Meditation Course in Hindi
स्वअनुशासन ध्यान (Self Discipline Meditation)
स्वअनुशासन क्या है? (what is self discipline) :
जैसे हर स्कूल, कॉलेज या संस्था के कुछ नियम-मर्यादाए होती है, सड़क पर मोटर चलाने के लिए भी नियम होते है। उसी तरह चाहे व्यायाम हो या योग उसमें भी नियम होते है। जैसे सड़क पर मोटर चलाते समय नियम का पालन न किया जाये तो अकस्मात होने की संभावना रहती है। उसी तरह एक योगी आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हुए अनुशासन या मर्यादाओं का उल्लंघन करता है तो उसे उसका दंड अवश्य भुगतना पड़ेगा। "राजयोग मेडिटेशन" करने के लिए एक योगी को हर एक नियम एवं मर्यादाओं का पालन करना बहुत ही आवश्यक है, तभी वह परमात्मा के साथ योग लगाने में सफल हो सकता है।
राजयोग मेडिटेशन के चार आधार जिसका अनुशासन करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
1. शुद्ध भोजन :
एक कहावत है - "जैसा अन्न वैसा मन"। शुद्ध भोजन लेने से मनुष्य का तन और मन स्वस्थ रहता है इसीलिए उसे योग में शारीरिक कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता।
2. सत्संग :
सत् यानि सत्य (परमात्मा) का संग करने से मनुष्य के मन में आने वाले बुरे विचार खत्म हो जाते है और वह सहज ही अपने मन को परमात्मा के साथ जोड़ सकता है। इसीलिए सत्संग का बहुत ही महत्व है।
3. दिव्य गुणों की धारणा :
मनुष्य को उच्च दिव्य गुणों की धारणा करनी चाहिए जिससे उसे परमात्मा के द्वारा प्राप्त होने वाली शक्तियों का अनुभव होता है।
4. ब्रह्मचर्य का पालन :
ब्रह्मचर्य की पालना करने से मनुष्य काम, क्रोध, लोभ और अहंकार आदि विकारो पर जीत पा सकता है और यही "राजयोग मेडिटेशन" का लक्ष्य है कि मनुष्य अपने विकारो को विनाश कर, देवताई गुणों को धारण कर, पतित से पावन बन सम्पूर्ण सुख की प्राप्ति करें।
ध्यान के लाभ (Benifits of Meditation)
राजयोग मेडिटेशन करने से कई सारे लाभ हो सकते है परंतु इसे विधि पूर्वक करने के लिए सबसे पहले जरूरत है कि हम "Rajyoga Meditation Course" को अच्छी रीति समझ ले।
हररोज के अभ्यास से मनुष्यात्मा की "आंतरिक शक्ति" (Inner Power) और "मन की शक्ति" (Mamory Power) बढ़ती जाती है। जिससे वह उसके जीवन में कई बदलाव अनुभव करता है।
मनुष्य कई बीमारियों से मुक्त हो सम्पूर्ण निरोगी बन सकता है।
मनुष्य सारी चिंताओं से मुक्त होकर सम्पूर्ण सुख की प्राप्ति कर सकता है।
मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से मुक्ति पा सकता है जो उसके दु:ख एवं बंधन के कारण है।
राजयोग से मनुष्य आत्माओं के पापो का नाश होता है।
मनुष्यात्मा परमात्मा से मिलन का अनुभव कर सकती है।
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